समावेशी शिक्षा में अधिगम असमर्थ बालक से आप क्या समझते हैं ?

समावेशी शिक्षा में अधिगम असमर्थ बालक से आप क्या समझते हैं ?


समावेशी शिक्षा में असमर्थ बालकों का तात्पर्य ऐसे बालको से है जो भाषा को बोलने या समझने में शारीरिक एवं मानसिक दोनों रूप से असमर्थ होते हैं दोनों कारणों से असमर्थ होने के कारण ऐसे बालकों को किसी भी क्रिया करने में असमर्थ पाया जाता है ।जैसे भाषा लिखना, पढ़ना, बोलना, सुनना और अंकगणितीय संबंधी गणना करने में असमर्थ होता है। यह शारीरिक व मानसिक दोनों रूप से बाधित मस्तिष्क पर चोट के कारण हो सकता है। मस्तिष्क का सुचारू रूप से कार्य ना करना मानसिक मंदता, भाषात्मक वातावरण संबंधी और सांस्कृतिक ,आर्थिक दोष पाए जाते हैं ।अधिगम अक्षमता का सर्वप्रथम प्रयोग 1963 में की गई थी।

समावेशी शिक्षा में अधिगम असमर्थ की परिभाषा:-

समावेशी शिक्षा में अमेरिका के मनोवैज्ञानिक ने 1968 ईस्वी में अपंगों की राष्ट्रीय सलाहकार समिति के अनुसार “बालकों के विशिष्ट अधिगम असमर्थ बालक के द्वारा भाषा को सीखने, बोलने, सुनने, समझने, विचार करने ,पढ़ने- लिखने, गणना करने, तथा शब्दों के विभिन्न वर्तनी दोष दूर करने में असमर्थ होता है इस प्रकार की असमर्थता में शारीरिक बाधित बालक जैसे – डिस्फेजिया, अफेजिया को सम्मिलित किया गया है ।”

एस. ए .किर्क 1971 के अनुसार :- “अधिगम अक्षमता या अपंगता जैसी शब्दावली का प्रयोग उन बालकों के लिए नहीं होता जिन्हें सीखने संबंधी अस्थायी या मामूली सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है बल्कि उन बालकों हेतु जिनकी योग्यताओं एवं शैक्षिक क्षेत्रों के उपलब्धि के बीच बहुत अधिक असमानता या अंतर देखने को मिलता है ।अधिगम असमर्थ बालकों की पहचान जब विद्यालय में बालकों के सम्मुख पढ़ने ,लिखने ,समझने तथा संख्यात्मक अयोग्यता संबंधी समस्या आती है तब अधिगम बाधित बालक प्रलक्षित होते हैं ।


ऐसे बालकों की पहचान निम्न आधारों के द्वारा किया जा सकता है :-

अधिगम असमर्थ बालकों को समय बिताने तथा दिनों , महीने तथा वस्तु को याद करने में कठिनाई होती है।

ऐसे बालकों को अपनी कार्य करने में कठिनाई होती है तथा कक्षा कार्य को देरी से पूरा करते हैं ।

ऐसे बालक सुस्त दिखाई पड़ते हैं तथा प्रश्नों के उत्तर सही ढंग से नहीं दे पाते हैं।

यदि उसे मौखिक अनुदेशो को दुहराने के लिए कहा जाए तो वह उन्हें सही-सही नहीं दुहरा पाते हैं ।

ऐसे बालक थोड़े से परिवर्तन से परेशान हो जाते हैं ।

अधिगम असमर्थ बालक इतना अधिक उत्तेजित होता है कि वह कक्षा में थोड़ी समय भी सही से शांत नहीं बैठ पाता है।

बच्चे बायें तथा दायें के बीच अंतर करने पर भ्रमित हो जाते हैं ।

शब्द के अक्षरों के उल्टी अक्षर पढ़ते हैं उदाहरण के लिए नम को मन, लता को यता पढ़ते हैं तथा शब्दों के अक्षर को उल्टा लिख देते हैं।

अधिगम असमर्थ बालकों के कारण:-

अधिगम असमर्थ के कारणों को जैविक कारण वंशानुक्रम तथा वातावरणीय कारणों से स्पष्ट किया जा सकता है ।

जैविक कारण :-
अधिगम असमर्थ बालकों का प्रमुख कारण जैविक कारण है ।इस अधिगम न्यूनता , मानसिक अल्फ क्रिया के कारण होते हैं ।यह क्रिया केंद्रीय अस्थाई तंत्र जिसका संबंध मस्तिष्क तथा मस्तिष्क का सुचारू रूप से कार्य ना करना उनकी उप क्रियाओं के कारण होता है।

वंशानुक्रम कारण :-
परिवार में अधिगम समस्याएं तथा भावात्मक क्रियाएं होती है। लगभग 20% भावात्मक क्रियाएं बालकों को अपने अभिभावक से होता है। वंशानुक्रम भी अधिगम असमर्थ बालकों का प्रमुख कारण बन सकता है।

वातावरणीय कारण :-
कुछ वातावरण संबंधी तथ्य जिनके नकारात्मक प्रभाव अधिक होता है जिससे बच्चे बाधित बन जाते हैं इसके अंतर्गत नशीली दवाओ का प्रयोग, मधपान शराब तथा गर्भ-कालीन अवस्था के समय उलझन, ऑक्सीजन की कमी, जन्म के समय मस्तिष्क को क्षति पहुंचाने वाली चोट से लगने से है । जिस बालकों को बहुत अधिक मानसिक क्षति होती है उनका अधिगम बाधित हो जाता है । इस प्रकार वातावरणीय प्रभाव के कारण बच्चों के विकास में अधिगम असमर्थता उत्पन्न हो जाती है ।

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