प्रतिभाशाली बालक की परिभाषा , पहचान, विशेषता ,समस्याएं एवं शैक्षिक प्रावधान का वर्णन करें

प्रतिभाशाली बालक की परिभाषा , पहचान, विशेषता ,समस्याएं एवं शैक्षिक प्रावधान का वर्णन करें ।
–प्रतिभाशाली बालक वे बालक होते हैं जिनकी बौद्धिक क्षमता सामान्य बालकों की अपेक्षा अधिक होती है । यह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट प्रदर्शन करते हैं । मनोवैज्ञानिकों के अनुसार ऐसे बालकों की बुद्धि लब्धि 140 से ऊपर होती है । प्रतिभाशाली बालक संगीत कला, सामाजिक नेतृत्व, गणित ,कला, विज्ञान, लेखक तथा दूसरे विभिन्न क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।

टर्मन के अनुसार :-

“ऐसे बालकों की बुद्धि लब्धि 140 से ऊपर होती है “।

वीटी के अनुसार :-

” प्रतिभाशाली बालक संगीत- कला ,सामाजिक नेतृत्व तथा दूसरे विभिन्न क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करते हैं “।
## क्रिक के अनुसार :-
” प्रतिभाशाली बालकों में श्रेष्ठ योग्यता होते हैं जिसके द्वारा तथ्यों विचारों तथा संबंधों के साथ कार्य को पूर्ण किया जाता है”।
बुद्धि लब्धि =मानसिक आयु / वास्तविक ×100
##प्रतिभाशाली बालकों की पहचान:-

  1. परीक्षणों के आधार पर बुद्धि परीक्षण :
    a.मौखिक बुद्धि परीक्षण
    b.क्रियात्मक बुद्धि परीक्षण
    c.उपलब्धि बुद्धि परीक्षण
    d.व्यक्तित्व परीक्षण
    e.अभियोग्यता परीक्षण
    f.अमौखिक बुद्धि परीक्षण
  2. अभिलेखों के आधार पर :-
    a. संचयी अभिलेख
    b. स्थानांतरण प्रमाण पत्र अभिलेख
    c. निर्देशन एवं परामर्श अभिलेख
    d. स्वास्थ्य अभिलेख
    e.मासिक प्रगति अभिलेख
  3. शिक्षक निरीक्षण के आधार पर
    a. कक्षा व्यवहार का निरीक्षण
    b. कक्षा के बाहर का निरीक्षण
    शिक्षा के निरीक्षण द्वारा बालक का व्यवहार, रुचि, योग्यता ,क्षमता का ज्ञान प्राप्त कर प्रतिभाशाली बालकों की पहचान की जाती है । विभिन्न प्रकार के अभिलेखों के आधार पर किसी भी विद्यार्थी की प्रतिभा को पहचाना जा सकता है इसमें मुख्य रूप से संचयी अभिलेख ,स्थानांतरण अभिलेख ,स्वास्थ्य अभिलेख इत्यादि संबंधित अभिलेख है।

प्रतिभाशाली बालकों की विशेषता :-

प्रतिभाशाली बालक की पहचान उनकी विशेषता के आधार पर की जा सकती है :-

  1. प्रतिभाशाली बालक की बुद्धि लब्धि 140 से ऊपर होती है ।
  2. प्रतिभाशाली बालक रटने की वजह समझने में विश्वास रखते हैं ।
  3. प्रतिभाशाली बालक का शब्द भंडार विस्तृत होता है ।
  4. प्रतिभाशाली बालक कठिन कार्य को सुगमता पूर्वक कर लेते हैं ।
  5. प्रतिभाशाली बालक का चिंतन मौलिक होता है।
  6. प्रतिभाशाली बालक का ज्ञानेंद्रियों का विकास तीव्र गति से होता है ।
  7. प्रतिभाशाली बालक में सृजनशीलता का गुण पाया जाता है ।
  8. प्रतिभाशाली बालक सुगमता से याद कर लेते हैं ।
  9. प्रतिभाशाली बालक स्पष्ट रूप से सोचने, अर्थों को पहचानने और संबंधों को पहचानने में दक्ष होते हैं ।
  10. प्रतिभाशाली बालकों में सीखने की रूचि अधिक होती है।

प्रतिभाशाली बालकों की समस्याएं:- प्रतिभाशाली बालकों में निम्नलिखित समस्याएं पाई जाती है :-

परिवार समायोजन :-
माता-पिता अपनी बाल को की प्रतिभाओं को ठीक से समझ नहीं पाते हैं घर से अपेक्षित मान्यता व सहयोग न मिलने के कारण उनकी प्रतिभाओं का समुचित विकास नहीं हो पाता है अपने ही घर में ऐसे बालक अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं ।

स्कूल समायोजन :-
स्कूल में प्रवेश सामान्य बालकों के तरह होता है परंतु प्रतिभाशाली बालकों की मानसिक समस्या अधिक तीव्र होती है इसलिए साधारण शिक्षा से वे संतुष्ट नहीं हो पाते है वह हर समय नई चीजें जानने की जिज्ञासु प्रवृत्ति होने के कारण ऐसे बालक अपने अध्यापक और साथियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते सामान्य बालक भी इससे ईर्ष्या करने लगते हैं।

समाज में समायोजन:-
बुद्धि में उत्तम होने के कारण प्रतिभाशाली बालकों को सीखने के लिए साथी नहीं मिलते इस प्रकार उनका सामाजिक विकास रुक जाता है कई बार दूसरे समुदाय में रहने के कारण वहाँ के रीति रिवाज बच्चों का समायोजन ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है ।

स्कूल विषयों और व्यवस्था चयन की समस्या:-
प्रतिभाशाली बालकों की अभिरुचि भिन्न होती है उनके समुचित विकास के लिए किसी एक विषय का चयन करना बहुत मुश्किल हो जाता है बाद में यही समस्या उचित व्यवस्थाएं चयन में भी बाधा उत्पन्न करती है ।

अभिमान का विकास:-
कई बार कक्षा में प्रतिभाशाली बालकों की ओर से अध्यापक द्वारा अधिक ध्यान देने से यह बालक स्वयं को सामान्य बालकों को तुच्छ समझते हैं उनके कारण उनमें अभिमान पनप जाता है प्रतिभाशाली और सामान्य वालों को में मधुर संबंध नहीं होता है वह एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या करते हैं।

शिक्षण विधि :-
यह बात सर्वमान्य है कि प्रतिभाशाली बालकों को विशेष शिक्षण विधियों की आवश्यकता होती है सामान्य शिक्षण विधि से कई बार प्रतिभाशाली बालक संतुष्ट नहीं होती है तथा कई बार कक्षा में समस्या उत्पन्न कर देती है इस प्रकार के वातावरण में प्रतिभाशाली बालक संतुष्ट एवं स्वयं को समायोजित करने में कठिनाई महसूस करते हैं।

प्रतिभाशाली बालकों के शैक्षिक प्रावधान :-

प्रतिभाशाली बालकों की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए अधोलिखित सुविधाएं उसे उपलब्ध करवाई जा सकती है जिससे उसका सर्वांगीण विकास हो सके ।


योग्य तथा नेक अध्यापक :-
प्रतिभाशाली बालकों के लिए विशेष योग्यता वाले अध्यापकों की नियुक्ति होनी चाहिए जो स्वयं तेज बुद्धि एवं शैक्षणिक योग्यता वाले होते हैं योग्य अध्यापक प्रतिभावान बालकों को सही दिशा प्रदान कर सकते हैं।

सहगामी क्रियाओं का विशेष व्यवस्था:-
पढ़ाई लिखाई के अतिरिक्त दूसरी क्रियाओं में प्रतिभावान बालकों को अवश्य अवसर मिलने चाहिए अन्यथा उनकी विशेष शक्ति गलत कार्यों में व्यर्थ समाप्त हो जाएगी । उनके मनपसंद क्रियाकलापों के लिए समुचित व्यवस्था करना स्कूल का दायित्व है ।

पुस्तकालय सुविधाएं :-
प्रतिभाशाली बालकों को नए ज्ञान की प्यास सदा ही रहती है अतः इन आवश्यकता को पूरा करने के लिए स्कूल में पुस्तकालय सुविधाओं का प्रबंध सुचारू रूप से होना चाहिए इसमें वह अपने खाली समय का उचित ढंग से उपयोग कर सकता है ।

विस्तृत पाठ्यक्रम :-
प्रतिभाशाली बालक के लिए पाठ्यक्रम विस्तृत होना चाहिए क्योंकि सामान्य वालों को वाले पाठ्यक्रम को प्रतिभाशाली बालक आसानी से समझ लेते हैं इनके पाठ्यक्रम में निम्नलिखित कार्यक्रमों को शामिल किया जाता है नागरिकता की शिक्षा जीवन भाषाओं का अध्ययन आधुनिक भाषाओं का अध्ययन विशेष योग्यताओं का प्रशिक्षण 5.व्यक्तिगत ध्यान:-
प्रतिभाशाली बालकों चाहते हैं कि अध्यापक कक्षा में उनका व्यक्तिगत रूप से विशेष ध्यान रखें बालक की इन इच्छाओं की पूर्ति अध्यापक कई विधियों से कर सकते हैं ।इन बालकों में आत्मसम्मान की संतुष्टि होती है ।

उत्तरदायित्व का कार्य :-
प्रतिभाशाली बालकों का उत्तर दायित्व के कार्य सौंपा जाए जैसे कि उन्हें कक्षा का मॉनिटर बनाया जाए और भिन्न-भिन्न सभाओं क्लबों टीमों का लीडर बना दिया जाए इस तरह कार्य करने से वे समाज के उत्तरदायित्व का भार उठाना सीख जाएंगे ।

प्रोजेक्ट विधि :-
प्रतिभाशाली बालकों में समावेशी शिक्षा में बालकों को प्रोजेक्ट कार्यों में संलग्न करना चाहिए इससे उस में सहयोग की भावना का विकास होता है इसके अतिरिक्त प्रतिभावान बालकों को स्वतंत्र रूप से कार्य करने का अवसर मिलता है और उनका आत्मविश्वास जागता है।

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