शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 /RTE act 2009 in hindi:-

शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 /RTE act 2009 in hindi

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 क्या है what is RTE act 2009 in hindi 


66 वा संशोधन अधिनियम 2002 के माध्यम से भारत के संविधान में अनुच्छेद 21a में शामिल किया गया ताकि 6 से 14 वर्ष तक के आयु के सभी बच्चों को विधि के माध्यम से राज्य द्वारा निर्धारित मौलिक अधिकार के रूप में निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जा सके। निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा 2009 अनुच्छेद 21a अनुसार आता है जिसका अर्थ होता है बच्चों को गुणवत्तापूर्ण की पूर्ण बालिका को प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार अधिनियम प्रदान करना हैं । बच्चों के अधिकार को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम अधिकार प्रदान करना है बच्चों के अधिकार को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम लोकप्रिय शिक्षा का अधिकार अधिनियम 1 अप्रैल 2010 में आया था । लेकिन भारत सरकार ने 4 अगस्त 2009 को संसद में पारित किया । 2 जुलाई 2009 को कैबिनेट मंत्रालय द्वारा, 20 जुलाई 2009 को राज्यसभा के अनुमोदन के बाद पारित किया गया । बाद में राष्ट्रपति द्वारा इस विधेयक को मंजूरी मिली लेकिन 1 अप्रैल 2010 को भारत के जम्मू कश्मीर राज्य को छोड़कर संपूर्ण भारत में लागू हो गया ।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 कब लागू हुआ when the Right to Education Act 2009 came into force

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 सभी जातियों के बालक तथा बालिकाओं को जिसका उम्र 6 से 14 वर्ष के हो उन्हें नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया गया जो 4 अगस्त 2009 को लोकसभा में बहुमत से पारित कर दिया गया तथा यह 1 अप्रैल 2010 से पूरे भारत में लागू किया गया |

शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 का प्रावधान :-

  1. 6 से 14 वर्ष के बच्चों को अनुच्छेद 45 के तहत शिक्षा प्रदान किया जाए । इसके बावजूद भी 40% बच्चे शिक्षा से वंचित है।
  2. इस अधिनियम के उपबंधो को कार्य नियमित करने के लिए समुचित सरकार और स्थानीय पदाधिकारी को कार्यभार देनी चाहिए ।
  3. इस अधिनियम से 3 वर्ष की अवधि के लिए या इसके भीतर ऐसे क्षेत्रों या आसपास की सुविधा सीमाओं के भीतर जो निहित किया जाए जहाँ विद्यालय नहीं है वहाँ एक विद्यालय की स्थापना की जाए ।
  4. प्रत्येक निजी विद्यालय को अल्प आयु वर्ग के बच्चों के लिए 25% सीट आरक्षित करनी जरूरी होगा ताकि इन सीटों पर 6 से 14 वर्ष के बच्चों से फीस वसूलने पर 10 गुना जुर्माना लगाया जाए ।
  5. स्कूल के प्रावधान समिति में 3/4 सदस्य बच्चों के अभिभावक को बैठाना होगा
  6. बगैर सरकारी मान्यता के चल रहे सरकारी स्कूलों पर पहली बार ₹100000 फिर मान्यता मिलने पर 10000 जुर्माना लगाया जाए । स्कूलों को बैग टीसी की दाखिल देना चाहिए ।
  7. कोई भी आम नागरिक स्थानीय प्रशासनिक शिक्षा अधिकार को ऐसे स्कूलों पर कानूनी कार्रवाई करने के लिए शिकायत दे सकता है ,जो बच्चों को शिक्षा अधिकार देने से इनकार करता है ।
  8. अगर किसी ग्रामीण या शहरी इलाकों में सरकारी निजी या कोई भी स्कूल नहीं है तो बच्चों के पास गांव या शहर के स्कूल में दाखिला दिलवाने की जिम्मेदार सरकार पर होगी । फिर सरकार के लिए 3 साल के अंदर इलाके में सरकारी स्कूल खुलवाना आवश्यक है ।
  9. अगर बच्चे के मां बाप फीस देने में असमर्थ है तो सरकारी स्कूल के दर पर सरकार उसकी पढ़ाई का खर्च उठाएगी । निजी स्कूल के लिए ऐसे बच्चों को प्रवेश परीक्षा या डोनेशन देने हेतु मजबूर करने पर मनाही करनी चाहिए ऐसा करने वाले स्कूलों पर भारी जुर्माना का प्रावधान किया जाए ।
  10. बच्चों को शारीरिक दंड देने पर शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई की जाए ।
  11. आपातकालीन सेवा जनगणना और निर्वाचन ड्यूटी छोड़कर अध्यापकों को अन्य कार्यों में ड्यूटी नहीं होगी
  12. अध्यापक निजी ट्यूशन नहीं पढ़ा सकेंगे
  13. केंद्रीय सरकार राष्ट्रपति के द्वारा अनुच्छेद 280 के खंड 3 के अधीन राज्य सरकार को अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता परीक्षा के लिए वित्त आयोग को निर्देशन देने का अनुरोध कर सकेंगे ताकि उप राज्य सरकार इस अधिनियम के उपबंधो को क्रियान्वयन करने के लिए अपना अंश प्रदान कर सकें ।
  14. केंद्रीय सरकार नवीनीकरण अनुसंधान योजना और क्षमता को राज्य सरकार को तकनीकी सहायता और संसाधन उपलब्ध करायेगी ।
  15. केंद्रीय सरकार द्वारा शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए मानको को विकसित करेगी तथा लागू करेंगे ।
  16. केंद्रीय सरकार द्वारा धारा 29 के अधीन विशिष्ट शैक्षणिक पदाधिकारी के सहायता से राष्ट्रीय कार्यक्रम का ढांचा विकसित करेंगे ।

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