दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra / Dussehra par nibandh)

दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra / Dussehra par nibandh)

दशहरा हिन्दू धर्म के लोगो का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है | दशहरा पर्व अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है | इसे पूरे उत्साह के साथ पूरे देश मे हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा लोगो द्वारा लगातार दस दिनों तक मनाया जाता है। यह एक धार्मिक त्योहार है।

प्रस्तावना

दशहरा पर्व को पूरे भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ से मनाया जाता है | इस त्यौहार पर खूब मिठाइया बाँटी जाती हैं | खूब ढ़ोल नगाड़े बजाए जाते है | विजयदशमी के इस पावन दिन ही असत्य पर सत्य की जीत हुई थी। दशहरा पर्व हिन्दू जाति के लोगों के लिए महत्वपूर्ण पर्व है। यह दीपावली से लगभग 20 दिन पहले मनाया जाता है |

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दशहरा का आयोजन

इस पर्व को विजय दशमी और दशहरा के नाम से भी जाना जाता है | इस पर्व को विजयदशमी नाम देने के पीछे बहुत बड़ी पौराणिक कथा है | जिसके अनुसार इस दिन माँ दुर्गा ने असुर महिषासूर का वध किया था

इसिलिए बिहार झारखंड पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में पूरे 9 दिनों तक मां दूगा के अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है। कुछ लोग 9 दिनो तक उपवास भी रखते है। है। इस 9 दिनो तक चलने वाली पूजा को नवरात्रि कहा जाता है जिसमें माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है | दुर्गा पूजा बंगाल मे बहुत प्रसिद्ध है | यह बंगालियों का प्रमुख त्यौहार है | 

असत्य पर किया सत्य की जीत

भगवान राम से इसी दिन रावण का वध किया था | इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है | इसीलिए इस दशमी को वियजयदश्मी कहा जाता है

शुभ तिथि

दशहरा वर्ष की तीन अत्यंत शुम तिथियों में से एक है, अन्य दो चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा हैं | इसी दिन लोग नया कार्य प्रारंभ करते है | इसी दिन शस्त्र पूजा, वाहन पूजा की जाती है |

मनाने का तरीका

दशहरा का त्योहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति के वीरता का पूजक, शौर्य का उपासक है | आश्विन शुक्ल दशमी को मनाए जाने वाला दशहरा प्रमुख है | इसमें दुर्गा माँ की प्रतिमा बनाई जाती है,पूजा की जाती है। पूजा के अंतिम दिन मूर्तियों का विषजन बड़े धूम धाम से किया जाता है |जगह-जगह मैले लगाये जाते है। जूलूस निकाला जाता है। इसमे रामलीला का आयोजन किया जाता है | राम, सीता और लक्ष्मण के किरदार  के लिए वास्तविक कलाकार होते है | रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के कागज और लकड़ी से पुतले बनायें जाते है | और अंतिम दिन जलाया जाता है

इस दिन रावण कुम्भकर्ण और मेघनाया जैस राक्षस के पुतले जलाये जाते है | दस सिर वाले रावण को जलाने के लिए आतिशबाजोकी जाती है। दशहरा भारतीय उपमहाद्वीप  में लंका के राजा रावण की बर्बर भूमिका के अंत का प्रतीक है 

नवरात्रि में माँ का नौ रूप

1. मां शैलपुत्री

2.मां ब्रह्मचारिणी

3.मां चंद्रघंटा

4.मां कूष्मांडा

5.मां स्कंदमाता

6.मां कात्यायनी

7.मां कालरात्रि

8.मां महागौरी

9.मां सिद्धिदात्री

1. मां शैलपुत्री – नवरात्रि के पहला दिन की माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माँ शैलपुत्री को पहाड़ो की भी पुत्री कहा जाता है | इस पूजा से हम अपने मन के विकार को दूर करते है |

माँ शैलपुत्री पूजन मंत्र है-

वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम।
वृषारूढ़ां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम।।

2. माँ ब्रह्मचारिणी – नवरात्रि के दूसरे दिन हम माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करते है | इस स्वरूप की पूजाअर्चना करके हम माता रानी के अनंत स्वरूण को जानने की कोशिश करते है, जिससे हम उनकी ही तरह इस अनंत संसार में कुछ पहचान बना सके |

माँ ब्रह्मचारिणी का पूजन मंत्र है-

दधाना करपाद्माभ्याम, अक्षमालाकमण्डलु।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।


3. मां चंद्रघंटा – नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा होती है | इस रूप में माता रानी का स्वरूप चाँद की तरह चमकता है इसलिए इसे चंद्रघंटा का नाम दिया गया है, कहा जाता है माँ चंद्रघंटा की पूजा आराधना करने से हमारे मन मे उत्पन्न द्वेष, ईष्या, घृणा और नाकारात्मक विचारो से हमे मुक्ति मिल सकती है।

माँ चंद्रघंटा का पूजन मंत्र है-

पिंडजप्रवरारूढ़ा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्मं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

4. माँ कूष्मांडा – नवरात्रि के चौथे दिन हमलोग माँ कुष्माण्ड की पूजा अर्चना करते है | माँ की पूजा आराधना करने से हमे अपने मस्तिष्क की सोचना की शक्ति बढ़ती है ।

माँ कूष्मांडा का पूजन मंत्र है-


सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।


5.    मां स्कंदमाता– ननवरात्रि के पाँचवे  दिन माता रानी स्कंदमाता की पूजा की जाती है |  स्कंदमाता को भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में जाना जाता है।इस  मां की पूजा करने से हमारे व्यावहारिकज्ञान में वृद्धि होती हैं|

माँ स्कंदमाता की अराधना का मंत्र है-

सिंहासनगता नित्यं, पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी, स्कंदमाता यशस्विनी।


6.    मां कात्यायनी– नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। माँ कात्यायनी के आर्शीवाद से हमे स्कारामत माग पर चलने की प्रेरणा मिलती मिलती है |
मां की पूजा के लिए मंत्र है-

चंद्रहासोज्जवलकरा, शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यात्, देवी दानवघातिनी।।


7.    मां कालरात्रि-नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा होती है माँ कालरात्रि को काल का नाश करने वाली देवी कहा जाता है। माँ कालरात्रि की पूजा आराधना करने से हमे यश-वैभव की प्राप्ति होती है|

 मां कालरात्रि पूजन मंत्र है-

एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी।।


8.    मां महागौरी-नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी के दिन के रूप में मनाया जाता है |  इस दिन महागौरी माँ को पूजा की जाती है। इस पूजा से हमारी मनोकामनाओ को पूर्ण होने का वरदान मिलता है |

इनके पूजन का मंत्र है-

श्र्वेते वृषे समारूढा, श्र्वेतांबरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यात्, महादेवप्रमोददाद।।

9.    मां सिद्धिदात्री-नवरात्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती हैं। इस पूजा सेअपने सभी कार्यो को आसानी से पूर्ण करने की क्षमता मिलती है |

पूजन मंत्र है

सिद्धंगधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।। 

निष्कर्ष

ये 10 दिन लंबा उत्सव है| जिसमे से नौ दिन देवी दुर्गा की पूजा के रूप में मनाया जाता है और दसवां दिन विजय पशमी के रूप में मनाया जाता है | ये  असुर राजा रावण पर भगवान राम की जीत के अवसर के रूप में मनाया जाता है | इसके आने से पहले ही लोगो द्वारा बड़ी तैयारी शुरू हो जाती है | ये 10 दिनों का उत्सव होता है | जिसमें मेले लगाए जाते है।

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