रेगुलेटिंग एक्ट 1773(Regulating act 1773 in hindi/Regulating act kya hai)
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नियामक अधिनियम 1773 क्या हैं | Regulating act 1773 in hindi |
रेगुलेटिंग एक्ट 1773(Regulating act 1773 in hindi/Regulating act kya hai)
रेग्युलेटिंग एक्ट का उद्देश्य भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की गतिविधियों को ब्रिटिश सरकार की निगरानी में लाना था। इसके अतिरिक्त 1773 के रेग्युलेटिंग एक्ट ने कंपनी के राजनीतिक कार्यों को मान्यता दी, क्योंकि यह पहली बार सरकार के रूप में संसद के आदेश के लिए जोर दिया। यह ब्रिटिश सरकार का भारत में प्रशासनिक तंत्र को केंद्रीकृत करने का पहला प्रयास था। अधिनियम ने कंपनी के मनमाने शासन के स्थान पर भारत में ब्रिटिश कब्जे के लिए एक लिखित संविधान स्थापित किया। गवर्नर-जनरल को निरंकुश बनने से रोकने के लिए एक प्रणाली शुरू की गई थी। इस अधिनियम को 1773 ई. में ब्रिटिश संसद ने पास किया तथा 1774 ई. में इसे लागू किया गया।
इस अधिनियम की प्रमुख बातें निम्न है:-
* ईस्ट इंडिया कंपनी पर संसदीय नियंत्रण की शुरुआत हुई
* इसे लॉर्ड नॉर्थ या फ्रेडरिक नॉर्थ द्वारा भारत और साथ ही यूरोप में ईस्ट इंडिया कंपनी के बेहतर प्रबंधन के लिए पेश किया गया था।
* 1773 में गुप्त समिति की सिफारिश पर इस अधिनियम का गठन हुआ
* ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए पहली बार लिखित संविधान बना
* Board Of Director के कार्य अवधी को 1 वर्ष से बढ़ाकर 4 वर्ष कर दिया गया तथा डायरेक्टरों की संख्या 24 निर्धारित की गयी
* बंगाल के गवर्नर को बंगाल, मद्रास तथा मुंबई तीनों प्रेसीडेंसियों का गवर्नर जनरल बनाया गया
* इसी अधिनियम के तहत भारत में सर्वप्रथम सुप्रीम कोर्ट की स्थापना 1774 में कलकत्ता में हुआ
* सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश :- सर एलिजा एम्पेय तथा अन्य न्यायाधीश :- चेम्बर्ज, लिमैस्टर और हाइड
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Final Thoughts –
दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में Regulating act 1773 features के बारे में पढ़ा। मुझे विस्वास है की आपको आज का यह आर्टिकल जरूर अच्छा लगा होगा।